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Friday, December 5, 2008

विदुर नीति: गुणी हमेशा सुखी और दुर्गुणी दुखी रहता है

1.निरोग रहना, ऋणी न होना, विदेश में रहना, अच्छे लोगों के साथ मेल होना, अपनी वृत्ति से जीविका चलाना और निर्भय होना ये किसी मनुष्य के लिए लिये इस लोक में छह सुख हैं।
2. ईष्र्या करने वाला, घृणा करने वाला, मन में असंतोष रखने वाला, क्रोधी, सदैव संशय में रहने वाला और दूसरों के भाग्य पर जीवन पर निर्भर रहने वाला छह लोग सदा दुखी रहते है।
3. शिक्षा समाप्त कर चुका शिष्य अपने गुरु का, विवाहित पुत्र अपनी मां का, काम भावना शांत होने पर पुरुष स्त्री का, कार्य संपन्न होने पर मनुष्य अपने सहायक का, नदी की धारा पार कर लेने वाला पुरुष नाव का तथा रोग मुक्त हुआ रोगी अपने चिकित्सक का सदा अपने अनादर करते हैं
4.स्त्रियों के विषय में आसक्त रहना, जुआ, शिकार, मद्यपान, कठोर वाणी बोलना, अत्यंत कठोर दंड देना और अपने धन का दुरुपयोग करना यह सात दुर्गुण त्याग देना में ही भलाई है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय- अक्सर जीवन में ऐसा समय आता है जब हम किसी का काम करते हैं तो यह अपेक्षा करते हैं कि वह हमेशा ही हमारा सम्मान करेगा पर ऐसा होता नहीं । काम निकल गया तो कौन पूछता है? मगर हम दूसरों के लिये कहते हैं स्वयं भी यही करते हैं। कोई हमारा काम कर देता है तो फिर हम भी उसको कितना भाव देते हैं। यह एक सामान्य मानवीय स्वभाव है। जीवन में हर कोई किसी न किसी का काम करता है पर अपेक्षाओं का भाव आदमी को निराश कर देता है। सोचता है कि अमुक का काम किया पर अब वह मान नहीं देता पर अपनी तरफ आदमी नहीं देखता कि उसका किसी ने काम किया तो उसे वह कितना मान दे रहा है।

नौकरी पेशा लोगों को इस बात का अनुभव होता होगा कि जब बोस को काम कराना होता है तो कितना मीठा बोलता है और जब निकल जाता है तो फिर अपने रुतबा दिखाने लगता हैं यह सहज व्यवहार है। लोग अपने अंदर ऐसे व्यवहार को लेकर व्यर्थ ही तनाव पालते हैं। इसलिये जब बोस कभी अगर मीठा बोल रहा हो तो अब उससे प्रभावित न हों । यह मानकर चलो कि जब काम हो जायेगा तब वह आपको वैसा नहीं पूछेगा। इससे और कुछ नहीं होगा पर आप बाद में उसकी उपेक्षा से अपने अंदर तनाव अनुभव नहीं करेंगे।

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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

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