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Saturday, September 6, 2008

संत कबीर वाणीः उस पत्थर को क्या पूजना जो उत्तर नहीं देता

पाहन करी पूतरी, करि पूजै करतार
याहि भरोसै मति रहो, बूड़ों काली धार

संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि पत्थर का पुतला बनाकर आदमी उसे पूजने लगता है। उसे अपने इस आडम्बर के सहारे नहीं रहना चाहिए कि वह उसकी सहायता से उस पार पहुंच जायेगा। अगर कहीं उसके भरोसे रहे तो बीच धार में डूब जाओगे।

पाहन को क्या पूजिये, जो नहिं देय जवाब
अंधा नर आशा मुखी, यौ ही खौवे आब


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि उस पत्थर का पूजने से क्या लाभ जो उत्तर नहीं देता। ज्ञान रहित उसे पूजकर जीवन में प्रसन्नता चाहते हैं पर यह व्यर्थ है।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-मूर्तियां को पूजना बुरा नहीं है पर जिस तरह उसकी पूजा कर यह सामान्य लोग मान लेते हैं कि वह बहुत बड़े भक्त हो गये तो यह उनकी अज्ञानता है। ऐसा लगता है कि मूर्ति पूजा संभवतः इसलिये शुरू की गयी कि सामान्य आदमी के लिये एकदम निराकार और निर्गुण की उपासना संभव नहीं है और वह इन मूर्तियों के रूप को अपने ध्यान में रखकर भक्ति करते हुए निरंकार को अपने मन में धारण करे। हुआ उसके विपरीत! लोग मूर्तियों को पूजकर अपने आपको भक्त समझने लगते है। यह उनकी अज्ञानता और अविवेक का प्रतीक है। जब तक हृदय से निरंकार और निर्गुण की उपासना नहीं की जायेगी तब तक अपने अंदर स्थापित विकार बाहर नहीं निकल सकते।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

7 comments:

L.Goswami said...

dipak jee mera mail mila aapke? ab aap kaise hain?chinta ho rahi hai..jaise hi samay mile.jawab dijiye.



LOVELY

Smart Indian said...

पहले तो इतनी अच्छी जानकारी के लिए आपका धन्यवाद.
लवली जी की पोस्ट से आपके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली. प्रभु आप दोनों को शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ कराये. मुझे उम्मीद है की आप बेहतर चिकित्सा, ज़रूरी व्यायाम और इश्वर-पारायण आदि कर ही रहे होंगे फ़िर भी सोचा कि याद दिला दूँ, धन्यवाद!

दीपक भारतदीप said...

आप दोनों ने हाल पूछा उसके लिये आभारी हूं। मौसम की वजह से यह परेशानी आई थी। यह उमस अच्छे खासे आदमी को परेशान कर देती है। योग साधना करते हैं इसलिये स्वस्थ जल्दी हो जाते हैं वरना तो हालत ही खराब हो जाती। शाम को कमरे में गर्म हवा भर जाती है इसलिये अब सुबह केवल अध्यात्म विषय पर ही लिखेंगे। जब मौसम ठंडा हो जायेगा तब ही शाम को लिखेंगे। वैसे भी मेरा रुझान अध्यात्म विषय पर ही अधिक रहता है। कभी कभार व्यंग्य या कवितायें लिख लेते हैं पर अब यह मौसम ठंडा होने पर ही लिखूंगा।
दीपक भारतदीप

mamta said...

दीपक जी आप अब ठीक है जानकर अच्छा लगा।

Udan Tashtari said...

आपके स्वास्थय की बेहतरी की सदैव कामना!

पवन मिश्रा said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

आप के स्वस्थ हो जाने और दीर्घायु होने का इच्छुक.

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