समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

Friday, August 29, 2008

संत कबीर वाणी:किसी में दिल लगाया तो सुख परे हो जाता है

प्रीति कर सुख लेने को सुख गया हिराय
जैसे पाइ छछुंदरी, पकडि सींप पछिताय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि सुख प्राप्त करने के लिये लोग गलत संपर्क बना लेते हैं और फिर कष्ट उठाते हैं। उस समय उनकी दशा ऐसी होती है जैसे सांप छछुंदर को पकड़ कर पछताता है

कबीर विषधर बहु मिले, मणिधन मिला न कोय
विषधर को मणिधर मिले, विष तजि अमृत होय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि इस संसार में विषधर सर्प बहुत मिलते हैं, पर मणि वाला सर्प नहीं मिलता। यदि विषधर को मणिधर मिल जाये तो विष भी अमृत बन जाये।

वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-संगति का प्रभाव आदमी पर अवश्य होता है। भले ही लोग स्वार्थ के लिये बुरे लोगों की संगति यह विचार कर करते हैं कि उसका कोई प्रभाव नहीं होगा पर यह उनका केवल विचार होता है। जब दुर्गुणी व्यक्ति की संगति की जाती है तो उसकी बातों का प्रभाव धीरे-धीरे पड़ता ही हैं और मन में कलुषिता का भाव आता ही है। इसके अलावा उसकी संगति से लोगों की दृष्टि में ही गिरते हैं और उसक द्वारा पापकर्म करने पर उसका सहभागी का संदेह भी किया जाता है। इससे अच्छा है कि दुष्ट और दुर्गुणी व्यक्ति के साथ संगति हीं नहीं की जाये। ऐसे लोगों के साथ ही अपना संपर्क बढ़ाया जाये जो भक्ति और ज्ञान रस के सेवन करने में दिलचस्पी लेते हों।
-----------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत आभार.

विशिष्ट पत्रिकायें