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Monday, August 11, 2008

रहीम के दोहे:दीन का सहायक कौन होता है

संतत संपंति जानि कै, सबको सब कुछ देत
दीप बंधु बिन दीन की, को रहीम सुधि लेत


कविवर रहीम कहते हैं कि जिनके पास संपत्ति और धन है लोूग उनकी जानबूझकर सहायता करते हैंैं क्योंकि उससे उनको अधिक प्राप्त होने वाला होता है, वरना यहां गरीबोंं की सुध कौन लेता है, उनका रक्षक तो दीनबंधु स्वयं है।

वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-अमीरों के लिये कोई थोड़ी परेशानी आये तो लोग उनकी सहायता के लिये दौड़ जाते हैं क्योंकि उनसे उनको लाभ की आशा होती है। गरीब का संकट बड़ा भी हो तो कोई उसकी तरफ नहीं देखता। समाज के साथ होने का भ्रम वही लोग पालते हैं जिन्होंने जीवन की सच्चाई को देखा नहीं होता। सभी जानते हैं कि समाज के नाम पर केवल अमीरों का शासन चलता है। अगर बड़े आदमी के कुत्ते को भी छींक आ जाये तो लोग उसको पूछने के लिये दौड़ जाते हैं कि पता नहीं कब उसमें काम पड़ जाये और गरीब का बेटा भी अगर बीमारी से तड़प रहा हो तो उसको कोई नहीं पूछता। अक्सर अमीरों के काम मुफ्त में हो जाते हैं क्योंकि करने वाले जानते हैं कि कभी उससे अधिक मिलेगा और गरीब के काम पर कोई दृष्टिपात नहीं करता क्योंकि उससे अधिक पाने की आशा नहीं होती।


यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

2 comments:

Nitish Raj said...

सत्य वचन बिल्कुल सही कहा है ऑफिस में भी तो ये ही होता है। जो बॉस का सगा या चमचा वो सुरशक्षित नहीं तो तलवार हमेशा लटकी रहती है।

शोभा said...

एकदम सही लिखा है। प्रासंगिक है।

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