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Tuesday, August 5, 2008

संत कबीर वाणीःनिस्वार्थी का कोई सम्मान भी नहीं करता

स्वारथ का सबको सगा, सारा ही जग जान
बिन स्वारथ आदर करै, सो नर चतुर सुजान


संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि इस संसार में स्वार्थ के कारण ही सब सगे बनते हैं, पर चतुर और बुद्धिमान व्यक्ति वह है जो बिना स्वार्थ के ही सभी को आदर देते हैं।

स्वारथ कूं स्वारथ मिले, पडि़ पडि़ लूंबा बूंब
निस्प्रेही निरधार को, कोय न राखै झूंब


संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि इस संसार में सभी लोग अपने स्वार्थ के कारण एक दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे की झूठी प्रशंसा करते हैं। जो मनुष्य इस बुराई से दूर रहते हुए बिना किसी प्रेरणा के स्वार्थ रहित व्यवहार करते हैं उनका कोई भी सम्मान नहीं करता।
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2 comments:

Satish Saxena said...

कबीर का कहा हर जगह सच हो रहा है ! ख़ुद कबीर को ही आज के समय में कौन पढ़ रहा है ! आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं !

Udan Tashtari said...

बहुत आभार.

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