समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

Saturday, July 19, 2008

संत कबीर वाणीःपराई स्त्री से संपर्क रखना लहसुन खाने के समान

नारी नरक न जानिये, सब संतन की खान
जामें हरिजन ऊपजै, सोई रतन की खान


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि नारी को नरक नहीं समझना चाहिए वह तो सब संतों की जननी है। उससी कोख से ही सभी भक्त उत्पन्न हुए। वह मनुष्यों में अनमोल रत्न पैदा करने वाली खान है।

जग में भक्त कहावई, चुटकी चून न देय
सिध जोरू का ह्नै रहा, नाम गुरु का लेय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य अपने आपको इस जगत में भगत भी कहलाना चाहता है पर एक मुट्ठी भर दान भी किसी को नहीं दे सकता। वाणी से सद्गुरु का नाम लेता है पर नारी का असली भक्त रहता है।
परनारी का राचना, ज्यूं लहसुन की खान
कोने बैठ खाइये, परगट होय निदान


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि पराई स्त्री के साथ संपर्क रखना जैसे लहसून खाने के समान है। चाहे कितने भी एकांत में पराई नारी से संपर्क रखो उसकी गंध छिपाये नहीं छिप सकती।

2 comments:

Anonymous said...

galric kae bahut benefit haen may be that is why most man get involved with woman other than their wife

Udan Tashtari said...

चाहे कितने भी एकांत में पराई नारी से संपर्क रखो उसकी गंध छिपाये नहीं छिप सकती।

-सत्य वचन. रचना दी की व्याख्या में भी वजह है. :)

विशिष्ट पत्रिकायें