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Wednesday, July 16, 2008

रहीम के दोहे-रहंट की घडिया की तरह होता है निम्न कोटि का आदमी

रहिमन धरिया रहंट की, त्यों ओछे की डीठ
रीतेहि सन्मुख होत है, भरी दिखावै पीठ


कविवर रहीम कहते हैं कि नीच आदमी की प्रवृत्ति रहंट की घडि़या की तरह होती है जब पानी भरना होता है तो वह उसके आगे अपना सिर झुकाती है और जब जब भर जाता है तो उससे मूंह मूंह फेर लेती है। ऐसे ही नीच आदमी जब किसी में काम पड़ता है तो उसके आगे सिर झुकाता है और कम करते ही मूंह फेर लेता है।

रहिमन खोटि आदि की, सो परिनाम लखाय
जैसे दीपक तम भरवै, कज्जल वमन कराय


कविवर रहीम कहते हैं कि अगर किसी काम का आरंभ जैसे होता है वैसे ही उसके अनुसार परिणाम पर उसका अंत होता है। जैसे दीपक अपने प्रज्जवलित होते ही ऊपर के अंधेरे को अंदर भरता है और रोशनी करने के बावजूद उसके तल में अंधेरा ही रहता है।

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