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Tuesday, June 24, 2008

चाणक्य नीतिःस्त्री में होता है पुरुष से छह गुना अधिक साहस

1.कोयल की मधुर वाणी उसका रूप है। वह भी कौए की तरह काली और कुरूप होती है पर उसका कर्णप्रिय स्वर मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करता है लोग उसके कुरूप होने का दुर्गुण भूल जाते हैं। वह उसके काले और भद्दे होने की उपेक्षा कर उससे प्रेम करने लगते हैं।
2.नारी में पुरुष से दोगुना भोजन करने की क्षमता होती है जबकि लज्जा चार गुना अधिक होती है। साहस छह गुना अधिक होता है।
3.नदी के तेज बहाव के कारण उसके किनारे खडे पेड़ पौधे जिस तरह नष्ट हो जाते हैं उसी तरह दूसरे के घर में रहने वाली स्त्री भी लांछित हो जाती है क्योंकि उसके लिये अपनी रक्षा करना अत्यंत कठिन होता है।
4.किसी भी पुरुष का घर स्त्री के कारण ही बसता है इसलिये नारी में कुल गुण और सहृदयता का होना आवश्यक है। जहां उसका पति के प्रति अनुराग नहीं होगा वहां जीवन की गाड़ी नहीं चल पायेगी। इसलिये स्त्री मन और वचन से सत्य बोलने, सदुव्यवहार करने और श्रेष्ठ गुणों वाली होना आवश्यक है।
5.धरती से निकलने वाला जल, पवित्र व शुद्ध होता है उसी तरह पतिव्रता नारी सदैव शुद्ध और पवित्र होती है। प्रजा के हित के संलिप्त रहने वाला राज तथा संतोष करने वाला विद्वान हमेशा पवित्र होता है।

3 comments:

mamta said...

नारी की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की है।

संजय शर्मा said...

सर्वमान्य सत्य ! प्रासंगिक भी शायद !

s_khsingh said...

jeevan ke anmol rahasya aapne bataye hai.inhe padne k bad man me ek naya utsah paida hota hai.

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