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Thursday, May 1, 2008

रहीम के दोहे:यह जीवन फिर नहीं मिलता

रीति प्रीति सबसों भली, बैर न हित मित गोत
रहिमन याही जनम की, बहुरि न संगति होत

कविवर रहीम कहते है कि इस जीवन में सबसे प्रेम से पेश आओ। न किसी से बैर करो न अपने मित्र और गौत्र से हित की चाह करो। यह मनुष्य जीवन फिर मिलेगा कि नहीं कहना कठिन है।

वर्तमान संदर्भ मे व्याख्या-आप देखेंगे कई ऐसे पेशेवर प्रवचनकर्ता हैं जो लोगों को सकाम भक्ति की तरह प्रेरित कर दावा करते हैं कि अगले जन्म में भी मनुष्य योनि प्राप्त होगी। यह उनका ढोंग है। सच तो यह है कि यह जीवन अनंत रहस्यों से भरा पड़ा है और इसका पूरा ज्ञान किसी को नहींं। अगला जन्म होता है भी कि नहीं या अगली योनि में कौन क्या बनता है इसका आभास किसी को नहीं हो सकता चाहे कोई कितना बड़ा तत्वज्ञानी होने का दावा क्यों न करे। जो तत्वज्ञानी है वह जीवन जीने के बेहतर तरीके तो बताते हैं पर उसके बाद का अनुमान तो वह भी नहीं कर पाये। इसलिये बेहतर यही है कि हमें अपने जीवन में सबसे प्रेम का बर्ताव करना चाहिए और इस स्वार्थ से भरे संसार में अपने मित्रों और रिश्तेदारों से कोई आशा न कर निष्काम भाव से अपना कर्म करना चाहिए। हम अगर दूसरे को सुख देते हैं तो हमें सुख मिलेगा, और अगर दूसरे को दुख देंगे तो हमें चैन से रहने की आशा भी नहीं करना चाहिए। अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने दैनिक कार्यों के साथ भगवान की भक्ति भी करना चाहिए। इसके साथ ही जो अगले जन्म में मनुष्य योनि दिलाने का दावा करते हैं ऐसे कथित लोगों की बातों को अनदेखा कर देना चाहिए।

1 comment:

Udan Tashtari said...

उत्तम व्याख्या, आभार.

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