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Tuesday, April 29, 2008

रहीम के दोहे:जल के बिना जीवन में सब होता है सूना

रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून


कविवर रहीम कहते हैं कि पानी को बचा कर रखें क्योंकि पानी बिना सब सून। पानी अगर न रहा तो मोती, मनुष्य और अनाज किसी का उद्धार नहीं हो सकता है।

वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-जिनके पास पानी की अभाव है वह तड़प रहे हैं पर जिनके पास है वह भी फैलाने में लगेे हैं। अपनी कारों और मोटर साइकिलों को ऐसे ही रोज नहलाते हैं जैसे कि वह गाय या बैल हों। लोग पानी को ऐसे फैलाये जा रहे हैं जैसे कभी खत्म नहीं होगा। यह आश्चर्य की बात है कि आज कई जगह जल बचाने के लिऐ आंदोलन चल रहे हैं।

जबकि रहीम जी का यह दोहा तो सैंकड़ों बरसों से इस देश में प्रचलित है और लोग इसे अक्सर अपना ज्ञान बघारने के लिये सुनाते हैं। सच बात तो यह है कि ज्ञान सुनना अलग बात है और उसे धारण करना अलग बात है। इस देश मेंं संत हो या आम आदमी सभी लोग ज्ञान और ध्यान की किताबें पढ़-पढ़कर उसका लिखा एक दूसरे को सुनाते हैं पर धारण कोई नहीं करता। अगर धारण करने वाले लोग होते तो आज इस तरह पानी के लिये बेहाल नहीं होते। समस्या यह नहीं है कि जल की कमी है बल्कि बढ़ते शहरीकरण के कारण उसके स्त्रोतों में कमी आयी है पर उपयोगिता की मात्रा बढ़ गयी है। आजकल कूलरों में पानी डालने के अलावा अपने वाहनों को साफ करने पर भी उसका अपव्यय होता है। ऐसे में इतना तो हो ही सकता है कि गर्मियों में लोग पानी फैलाने का काम न करें पर शायद ही कोई यह बात माने।

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