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Friday, April 4, 2008

रहीम के दोहे:राम-राम करने वाले सभी मित्र नहीं हो जाते

सब को सब कोऊ करै, कै सलाम कै राम
हित रहीम तब जानिए, जब कछु अटकैं काम


कविवर रहीम कहते है कि कभी लोग एक दूसरे को सलाम और राम-राम तो करते हैं पर मित्र वही जब काम पड़ने पर अपना कर्तव्य निभाता है।

वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-अब पहले की तरह लोगों के काम के दायरे सीमित नहीं रहे। वर्तमान शिक्षा पद्धति से सब जगह नौकरी करने वालों की संख्या बढ़ रही है। अक्सर लोग जहां नौकरी करते हैं वहां अनेक लोग उनके साथ काम करने वाले साथी जुड़ने लगते हैं। प्रतिदिन आपस में हाथ मिलाते और सब एक दूसरे को अपना दोस्त कहने लगते हैं पर उनके यह संबंध कार्यस्थल तक ही सीमित रहते हैं और किसी पर्र अगर घरेलू परेशानी आतीं है तो वह उसके किसी काम के नहीं होते। बीमारी वगैरह की खबर आने पर कभी यह नहीं सोचते कि उसके घर जाकर हालचाल जाने। कहीं उसे किसी डाक्टर के यहां जाने या दवा लाने के लिये सहयोग की जरूरत तो नहीं है।

ऐसे ही किसी के घर में शादी या गमी का अवसर हो तो सहकर्मी से कोई न तो मदद के लिये कहता है न ही वह कोई प्रस्ताव करते हैं। आजकल ऐसे बहुत सारे औपचारिक संबंध बन जाते हैं जिनमें हम आत्मीयता ढूंढते हैं पर निराशा हाथ लगती है। ऐसे में यह भी सोचना चाहिए कि हर एक सहकर्मी के रूप में हम किसी के साथ मित्रता निभाते है।

इस निराशाजनक स्थिति के बचने के लिये लोगों को अपने काम करने के स्थान पर भी अपने साथियों के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने चाहिए और न केवल समय-असमय उनके काम आने के लिये तैयार होना चाहिए बल्कि उनसे भी काम पड़ने पर सहयोग का आग्रह करना चाहिए।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

दीपक जी सहमत हे आप की बात से

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