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Tuesday, January 15, 2008

रहीम के दोहे:नयन बाण की चोट व्यक्ति नहीं सह पाता

रहिमन तीर के चोट ते, चोट परे बचि जाय
नैन बाण की चोट ते, चोट परे मरि जाय


कविवर रहीम कहते हैं की बाण बाण की चोट लगने से व्यक्ति बच जाता है, परन्तु नयन-बाणों की चोट से व्यथित जीवित नहीं रह पाता।

रहिमन देखि बडेंन को , लघु न दीजिये हारि
जहाँ काम न आये सुई कहा के तलवारि


कविवर रहीम कहते हैं की महान पुरुषों को देखकर तुच्छ मनुष्यों को व्यर्थ समझकर उनका निरादर मत कीजिए। जहाँ सुई काम आती हैं जहाँ तलवार काम नहीं कर सकती।

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया दोहे प्रेषित किए।आभार।

राजीव तनेजा said...

स्कूल के दिन याद आ गए....

धन्यवाद....अच्छी शिक्षा एवं पुराने दिनों की यादें लौटाने के लिए

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