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Thursday, January 3, 2008

रहीम के दोहे:प्रेम करें पर खीरे जैसा नहीं

रहिमन प्रीति न कीजिए, जस खीरा ने कीन
ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फांके तीन

कविवर रहीम कहते हैं कि खीर जैसा प्रेम कदापि न कीजिए बाहर से सांसरिक दिखावे के लिए तो मन का मिलन लगता है परन्तु अन्दर विभाजन होता है। बाहर से एक दिखता है पर उसके अन्दर तीन फांके होती हैं।

रहिमन रहिमन पेंडा प्रेम को, निपट सिलसिले गैल
बिछ्लत पाँव पिपीलिका, लोग लदावत बैल


कविवर रहीम कहते हैं कि प्रेम का स्थान फिसलन भरा है। चींटी के भी प्रेम के स्थान पर पैर फिसल जाते हैं परन्तु लोग तो प्रेम गली में बैल तक का बोझ लदवाने के लिए तैयार हो जाते हैं।

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