- व्यापक दृष्टि वाले अर्थात जिनमें संकुचित दृष्टि नहीं है अपने पक्ष वालों का-अपनी जातिका ही हित करना और अपने पक्ष से भिन्न मतवालों को कुचलना- यह दुष्ट भाव जिनमें नहीं है, जो सबके हित को व्यापक दृष्टि रखते हैं उनको ' ईयचक्षसा' है। इनको व्यापक दृष्टि वाले कहते हैं। ये लोग स्वराज्य को चलाने के अधिकारी हैं।
- दूसरे 'मित्रवत' व्यवहार करने वाले जनता कि मित्र, जो सबका कल्याण करने में दत्तचित्त रहते हैं, वह 'मित्रवत' व्यवहार करने वाले राज्य चलाने के अधिकारी हैं।
- तीसरे 'सूरय' अर्थात ज्ञानी , सत्य ज्ञान से प्रकाशित होने वाले विद्वान यथार्थ धारण करने वाले-ये भी स्वराज्य-शासन करने के अधिकारी हैं।
ऐसे ही लोग राष्ट्र पर शासन कर उसका उद्धार कर सकते हैं।
(कल्याण से साभार)
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