आंखों देखा घी भला, ना सुख मेला तेल
साधू सों झगडा भला, ना साकट सों मेल
साधू सों झगडा भला, ना साकट सों मेल
आंखों से देखा घी का दर्शन भी अच्छा है और तेल तो मुख में डाला हुआ भी अच्छा नहीं है। साधू-संतो से झगडा भी अच्छा है परन्तु निगुरा (जिसका कोई गुरू नहीं है) से मेल-मिलाप कदापि अच्छा नहीं है, क्योंकि साधू से झगडा होने पर निर्णय अच्छा हो सकता है पर निगुरे से मेल-मिलाप कभी भी फलदायी नहीं हो सकता।
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