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Monday, August 13, 2007

चाणक्य नीति: धन के लिए धर्म त्यागना गलत

  1. ऐसा धन जो अत्यंत पीडा, धर्म त्यागने और बैरियों के शरण में जाने से मिलता है, वह स्वीकार नहीं करना चाहिए।
  2. धर्म, धन, अन्न, गुरू का वचन, औषधि आड़ हमेशा संग्रहित रखना चाहिए, जो इनको भलीभांति सहेज कर रखता है वह हेमेशा सुखी रहता है।
  3. बिना पढी पुस्तक की विद्या और अपना कमाया धन दूसरों के हाथ में देने पर समय पर न विद्या काम आती है न धनं

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