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Wednesday, July 25, 2007

चाणक्य वाणी: विद्वानों की स्थिति

  1. आजकल के विद्वान् चारों वेदों और धर्म शास्त्रों को पढ़ तो लेते है लेकिन उन्हें पढने में पारंगत होने के बाद भी उनके आत्मतत्व के ज्ञान से शून्य रहते हैं। उन विद्वानों की स्थिति वैसे ही है जैसे कलछी की होती है जो सब स्वादिष्ट पकवानों में से गुजर कर भी उनका स्वाद नहीं जानती।
  2. इस संसार में विद्वानों कि स्थिति बड़ी विचित्र और विपरीत होती है। यहाँ इस संसार रूपी सागर के नीचे जाएँ तो तर जाते हैं और ऊपर बैठे तो डूब जाते हैं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

यह सूत्र अनंत काल तक वैद्य रहेंगे.

आपका संकलन का कार्य प्रशंसनीय है. साधुवाद स्विकारें.

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