सहज तराजू आणि के, सब रस देखा तौल
सब रस मांही जीभ रस, जू कोय जाने बोल
इसका आशय यह है कि इस विश्व में विभिन्न प्रकार के रस है और सब रसों को सहज भाव से ज्ञान की तराजू पर तौलकर देख और परख लिया। सब रसों में जीभ का रस ही सर्वोत्तम और ज्यादा महत्वपूर्ण है, अगर कोई सुन्दर और मधुर भाषा में बोल सके तो।
मुख आवै सोई कहै ,बोले नहीं विचार
हते परायी आत्मा, जीभ बाँधी तलवार
कुछ अविवेकी लोग ऐसे होते हैं, जो विचारकर नहीं बोलते। बस अपने मन में जो उलटा-सीधा आये बकते ही जाते हैं। आइए लोग पानी जीभ में कड़वे और कठोर वाक्य रूपी तलवार दूसरों की आत्मा को कष्ट देते ही रहते हैं ।
*लेखक की राय में ऐसे लोगों के उपेक्षा कर देना चाहिए
सूचना -बहुत प्रयास करने पर भी कई ऐसे शब्द हैं जो यहां ऐसे टाईप नहीं हो पाते जैसे किताबों में हैं, अत सुधि पाठक इसे क्षमा करेंगे, हमारा मुख्य उद्देश्य अपने संतो की वाणी से लोगों को अवगत करना है। इस ब्लोग पर धीरे -धीरे और भी संतों के अमृत वचनों को प्रस्तुत किया जायेगा।
1 comment:
bahut accha blog hai
aise hi post padhne milte rahenge aasha hai. nahi to aajkal narad pe jaane ka man hi nahi hota..
Post a Comment