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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
चाणक्य वाणी:मन की लगाव के बिना आत्मीयता होना कठिन

- जिसके प्रति सच्चा प्रेम हैं वह दूर रहते हुए भी समीप रहता है। इसके विपरीत जिससे लगाव नहीं है वह आदमी पास रहते हुए भी दूर रहता है। यह एक वास्तविकता है कि मन के लगाव के बिना आत्मीयता का भाव बन ही नहीं सकता है।
- जिस किसी व्यक्ति से मिलने की संभावना है उससे सदैव मधुर व्यवहार करना चाहिऐ। उदाहरण के लिए मृग का शिकार करने की इच्छा रखने वाला चालाक शिकारी उसके आसपास रहकर मधुर स्वर में गीत गाता रहता है ।
- अगर तुम्हें लोगों में अपना सम्मान बनाए रखना है तो किसी के सामने किसी की बुराई नहीं करो .
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