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Monday, July 2, 2007

संत कबीर वाणी:कोयला भी हो उजळा

NARAD:Hindi Blog Aggregator

कोयला भी हो उजळा, जरि बरि है जो सेव
मूरख हो न उजळा, ज्यों कालर का खेत
संत कबीरदास जी का कहना है कि भली-भांति जलकर कोयला भी उजला हो जाता है, परन्तु मूर्ख का सुधरना उसी प्रकार नहीं होता जैसे ऊसर खेत में बीज नहीं उगते।

1 comment:

Udan Tashtari said...

जारी रखें. बढ़िया चल रहा है.

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