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Wednesday, August 8, 2007

चाणक्य नीति:नीच और उच्च व्यक्ति की पहचान

  1. जो नीच प्रवृति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुचाने वाले मर्मभेदी वचन बोलते हैं, दूसरों की बुराई करने में खुश होते हैं। अपने वचनों द्वारा से कभी-कभी अपने ही वाचों द्वारा बिछाए जाल में स्वयं ही घिर जाते हैं और उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जिस तरह रेत की टीले के भीतर बांबी समझकर सांप घुस जाता है और फिर दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है।
  2. समय के अनुसार विचार न करना अपने लिए विपत्तियों को बुलावा देना है, गुणों पर स्वयं को समर्पित करने वाली संपतियां विचारशील पुरुष का वरण करती हैं। इसे समझते हुए समझदार लोग एवं आर्य पुरुष सोच-विचारकर ही किसी कार्य को करते हैं। मनुष्य को कर्मानुसार फल मिलता है और बद्धि भी कर्म फल से ही प्रेरित होती है। इस विचार के अनुसार विद्वान और सज्जन पुरुष विवेक पूर्णता से ही किसी कार्य को पूर्ण करते हैं।

1 comment:

Shastri JC Philip said...

मैं अकसर आप के चिट्ठे पर आता हूं. आप बहु उपयोगी जानाकारी परोस रहे है.

यदि आप इन चिट्ठों में कही गई बातों पर अन्य विद्वानों के उद्धरण, या नीतिकथायें भी जोड सकें तो सोने पर सुहागा हो जायगा -- शास्त्री जे सी फिलिप

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