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Saturday, December 26, 2015

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक लाहौर यात्रा से परेशान होने की जरूरत नहीं(Meaning of Primminister Narendra Modi in Lahore Treval)


                   25 दिसम्बर को भारत के प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी काबुल यात्रा से अचानक ही पाकिस्तान के लाहौर पहुंच गये। इस यात्रा का कार्यक्रम अचानक बना था। अनेक विशेषज्ञों को इस पर आपत्ति है पर हमारा मानना है कि अब  बदलते समय में विदेश नीति में संपर्क के नये आयाम भी बनाने होंगेे-खासतौर से पाकिस्तान, बांग्लादेश व दक्षिण एशियाई पड़ौसी देशों के विषय में हम अपनी नीति वह नहीं रख सकते जो सीमा से दूर देशों से अपनाते हैं।  पाकिस्तान विश्व का इकलौता ऐसा देश है जिसमें हमारी भाषा जस की तस समझी जाती है। ऐसे में औपचारिकता से हटकर भारत के ऐसी नीति जिससे उसे साधा जा सके। पाकिस्तान में सत्ता नियंत्रण करने वाले जितनी भी संस्थायेें उनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क रखना ही होगा भले विदेश नीति की दृष्टि से अनुपयुक्त हो।
                           पता नहीं पाकिस्तान के भारतीय विशेषज्ञ क्या सोचते हैं, पर हमारी राय है कि उसे एक अलग राष्ट्र कहें तो ठीक पर मानना नहीं चाहिये। पाकिस्तान के साथ व्यवहार करते समय ऐसा व्यवहार करना चाहिये कि वह हमारा ही एक प्रदेश है जो चार प्रदेशों से बना है। एक धर्म की छत के नीचे पाकिस्तान एक नहीं रह पाया बल्कि चार संस्कृतियों को जबरन एक दिखाने की कोशिश करते हुए वहां जारी आंतरिक संघर्ष खतरनाक स्थिति में पहूंच गया है। पाकिस्तान के अंदर नागरिक वेश में औपचारिक रूप से प्रवेश कर वहां अपने खुले संपर्क बनाये रखना चाहिये।  हम दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देते-यह जुमला कभी पाकिस्तान के विषय में प्रयोग करना ही नहीं चाहिये।  भारत का हित इसमें है कि पाकिस्तान के सिंध, ब्लूचिस्तान, सीमाप्रांत और पंजाब चारों के साथ संपर्क बनायें। 
                           पाकिस्तान भारत का एक भाग है। जिस तरह किसी पिता के आठ बेटे हों और दो घर छोड़कर बाहर रहने लगे तब भी वह उनसे बेफिक्र नहीं रह पाता। उसी तरह भारत भी अपने अलग हो चुके चार प्रांतों को पाकिस्तान नाम की छत के नीचे इस तरह छोड़ नहीं सकता। जो भारतीय रणनीतिकार पाकिस्तान को एक राष्ट्र मानते हैं वह शुतुरमुर्ग हैं जो मानते हैं इससे चैन से बैठा जा सकता है। ब्लूचिस्तान, सिंध वह सीमाप्रांत के लोग स्वयं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का गुलाम समझते हैं। इन प्रांतों के लोग भारत से समर्थन की अपेक्षा करते हैं। उन्हें सीधा समर्थन नहीं दिया जा सकता पर पंजाबी प्रभाव वाली पाकिस्तानी सरकार पर दबाव डाले कि वह यहां के नागरिका संपर्क अन्य प्रंातों तक फैलने में रुकावट न डाले।
पाकिस्तान ने तुर्कमिस्तान से भारत तक गैस पाईप लाईन बिछाने का काम शुरु किया- साठ वर्ष में यह उसका पहला सकारात्मक संदेश है। दूसरा संदेश यह कि वहां के प्रधानमंत्री ने अपने सहयोगियों को निर्देश दिया कि वह भारत विरोधी बयान देना बंद करें। इसके बाद ही भारत के प्रधानमंत्री ने अनौपचारिक रूप से पाकिस्तान की यात्रा का निर्णय लिया होगा।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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