tag:blogger.com,1999:blog-2193265903962653594.post309959351321837701..comments2023-11-24T14:53:53.081+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्दलेख सारथी-पत्रिका: संत कबीर वाणी:आदमी की खोपडी होती है उल्टीदीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/14727354455089892030noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2193265903962653594.post-65264178778219127812008-04-14T09:50:00.000+05:302008-04-14T09:50:00.000+05:30ना तो लालच का अंत है और ना ही मृग तृष्णा का।मनुष्य...ना तो लालच का अंत है और ना ही मृग तृष्णा का।<BR/>मनुष्य को भगवान् ने कुछ ऐसा ही बनाया है की वो कभी संतुष्ट ही नही हो पाता है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.com